Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2018

अभिव्यक्ति की आजादी

अभिव्यक्ति की आजादी "अभिव्यक्ति की आजादी" या "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" अर्थात् आपके मन या विवेक में जो भी विचार या विकार उत्पन्न हो रहे हैं उनकी अभिव्यक्ति | वर्तमान परिस्थिति में देखें तो यह वाक्य आज सबसे बड़ा सुरक्षा कवच बन चूका है जिसके पीछे छुपकर आप कुछ भी कर सकते हैं |  उदाहरणार्थ :- आप अपने ही देश को अपशब्द कह सकते हैं, किसी धर्म ,पंथ या विचारधारा पर आक्षेप कर सकते हैं, किसी समाजिक व्यवस्था को तोड़ सकते हैं, मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता दिखाकर धन कम सकते हैं, किसी के इतिहास को अपने अनुसार बदलकर कुछ भी दिखा सुना सकते हैं देश और समाज के इतिहास को बदल सकते हैं, देश के लिए अपने प्राण देने वाले सैनिकों को अपशब्द कह सकते हैं, देश के बहुसंख्यकों को जिनके कारण ही देश सुरक्षित व धर्मनिरपेक्ष होकर लोकतान्त्रिक रूप से चल रहा है उन्हें आतंकवादी, असहिष्णु, अत्याचारी कह सकते हैं, देश के जिस चरित्र को बनाने में हजारों वर्ष लगें हो उसे अपने स्वार्थ के लिए छिन्न भिन्न कर सकते हैं, जिस देश नें विश्व को मर्यादा का पाठ सिखाया उसे एक नग्न नारी की तरह दिखा

पद्मावत और विवाद

# पद्मावत   # पद्मावती एक फिल्म निर्माता एक समुदाय से जुड़े इतिहास पर बिना उनकी अनुमति लिए एक फिल्म अपने अनुसार से बना लेता है, आपत्तियों के बाद भी अभिव्यक्ति की आजादी के नाम फिल्म दिखाने की जिद करता है, और क़ानूनी आश्रय लेकर फिल्म दिखाता है | लेकिन म्बंधित समुदाय की धार्मिक और सामाजिक भावनाये आहत होने से उत्पन्न आक्रोश उग्र होकर आन्दोलन का रूप ले लेता है | देश में अराजकता और अशांति फैलती हैे,जान माल का भारी नुकसान होता है, कानून व्यवस्था भी बिगड़ती है,देश भर में विरोध प्रदर्शन होता है | इतने कोलाहल और विरोध के बाद भी वह फिल्म निर्माता फिल्म दिखाने की मांग पर अड़ा रहता है,जिस देश और जिन दर्शकों को फिल्म दिखाकर वह पैसा कमाना चाहता है, जिन लोगों से पैसे कमाकर बॉलीवुड और उसके लोग आज इतना बड़े और धनवान हुए हैं, अपने प्रकाह्र में जिन दर्शकों से मिले प्यार की वो तारीफ करते रहते हैं, आज उन्हीं दर्शकों की भावना उनके लिए कोई मायने नहीं रखती, मायने रखते है तो सिर्फ फिल्म में लगे उनके पैसे और उन पैसे से बनी फिल्म से कमाये जा सकने वाले और पैसे | मुफ्त में मिले प्रचार (पब्लिसिटी) से फिल्म दिखाक

मनुस्मृति और जाति व्यवस्था

मनुस्मृति मनुस्मृति क्या है ?       मनुस्मृति, एक ऐसा धर्मग्रन्थ जो की सनातन धर्म के अनुसार सृष्टि के निर्माता परमपिता ब्रह्मा के प्रथम मानस पुत्र मनु द्वारा एक आदर्श समाज और न्यायव्यवस्था के लिए लिखी गई थी | इसमें वेदों और अन्य धार्मिक स्त्रोतों से प्रेरणा लेकर एक आदर्श समाज के लिए कुछ मार्गदर्शन और अनुशासन के निति नियमों का निर्धारण किया गया है | कर्मआधारित वर्णव्यवस्था भी इसी के द्वारा स्थापित किया गया था जिसका वर्णन ऋग्वेद में दिया गया है | भारत में सनातन सभ्यता के प्रारंभ से ही सभी राजा महाराजाओं यहाँ तक की ईश्वर के सभी अवतारों के भी द्वारा इसी ग्रन्थ को संविधान के रूप में लिया गया और उन्होंने अपना शासन इसे के आधार पर चलाया, न्यायव्यवस्था और दंडविधान का अनुसरण भी इसी के अनुसार किये जाता था | मनुस्मृति में वर्णव्यवस्था       किन्तु वर्तमान में मनुस्मृति पर बहुत विवाद है, इसे जातिप्रथा का मूल कहा जाता है, समाज के एक शोषित और वंचित वर्ग की दयनीय अवस्था का कारण इसी ग्रन्थ को कहा जाता है | किन्तु यदि आप इतिहास का ध्यान से तर्कपूर्ण अवलोकन करे तो यह बात पूर्णतः गलत प्रमाणि

भीमा-कोरेगांव समारोह में हिंसा

https://www.facebook.com/rahulsharma4931/posts/1059336590875745 चलो भीमा-कोरेगांव समारोह के इतिहास और वहां हुई हिंसा के बारे में जानें, लगभग 200 साल पहले मराठा साम्राज्य की कमान पेशवा बाजीराव द्वितीय के हाथों में थी | ब्रिटिश शासन से लड़ रही मराठा शासन ने अपने सेना के साथ पुणे में आक्रमण करने की योजना बनाई पर रास्ते में उन्हें ब्रिटिश सेना की एक दल से लड़ना पड़ा, पेशवा ने पहले 2 हजार सैनिक भेजे पर 12 घंटे के युद्ध के बाद में बड़ी ब्रिटिश आर्मी आ गई और मराठा सैन्य दल पीछे हटना पड़ा | चुकीं भारत के देशभक्त लोग उस समय अंग्रेजी सेना में शामिल नहीं होते थे इसलिये अंग्रेज उस समय "फुट डालो राज करो" की निति के तहत समाज के गरीब और पिछड़े लोगों को लालच देकर या जातिय अन्याय के नाम पर अपनी सेना में शामिल करते थे, इसी के तहत उनकी सेना में एक बड़ा दल महार जाति महार रेजिमेंट के लोगों का था जिसे अंग्रेजों ने ही दलित के रूप में वर्गीकृत किया था ताकि समाज में आपसी द्वेष पैदा किया जा सके | ब्रिटिश सेना कि पेशवा की सेना पर मिली इस जीत को उस वर्ग ने दलितों शोषितों की ब्राह्मणों-सवर्णों पर जीत

भारतीय सभ्यता का इतिहास

भारतीय सभ्यता का इतिहास       भारत का इतिहास विश्व में सबसे प्राचीन माना जाता है, किन्तु अब तक के ज्ञात स्त्रोतों और प्रमाणों के अनुसार से भारत के इतिहास को दो प्रकार से अध्ययन किया और समझा जा सकता है | 1.वैदिक इतिहास - यह इतिहास भारत के वैदिक साहित्यों, ग्रंथों और प्रचलित कथाओं में वर्णित इतिहास है | 2.वैज्ञानिक इतिहास - यह इतिहास वैज्ञानिकों द्वारा पुरातात्विक प्रमाणों और शोधों के अनुसार प्राप्त इतिहास है |    1.वैज्ञानिक शोधों के अनुसार यदि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और भारत का इतिहास देखा जाये तो वह निम्न है - हम इसे चार चरणों में समझ सकते हैं - 1.ब्रह्माण्ड की व्युत्पत्ति से पृथ्वी के निर्माण तक, 2.पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से प्रथम मानव तक, 3.प्रथम मानव से मानव सभ्यता के निर्माण तक 4.मानव सभ्यता से वैदिक युग तक का इतिहास, 5.वैदिक युग के आरंभ से मध्ययुग तक का इतिहास, 6.मध्ययुगीन इतिहास से आधुनिक कल तक का इतिहास, अब हम इन चरणों का अध्ययन थोड़ा विस्तार से करेंगे - 1.ब्रह्माण्ड की व्युत्पत्ति से पृथ्वी के निर्माण तक -   लगभग 13 अरब 17 करोड़ वर्ष पहले महा-विस्फोट (बिग बैंग)