शहरी नक्सल किसान मजदुरों, पीड़ितों के अधिकार की मांग से उपजी और लेनिन, स्टालिन, माओ जैसे खुनी कम्युनिस्ट नेताओं से पोषित वामपंथ बीहड़ जंगलों और शहरों दोनों में फैला हुआ है | जंगलों में रहकर सेना और सरकार से सीधे खुनी लड़ाई लड़ रहे नकसलियों को तो हम जानते हैं पर उनके पीछे बैठे उन असली षड्यंत्रकर्रियों के बारे में शायद ही जानते हैं जिनके कारण ये लोग इतने सालों से अस्तित्व में हैं | ये एक हिंसक बिजनेस है जिसमें कमजोर तबका लड़ता है और मजबूत तबका इनके माध्यम से बैठे बैठे करोड़ों कमाता है और देश के विरुद्ध गतिविद्यों को बढ़ाता है | किसान, मजदुर, छात्र यूनियन, शिक्षण संस्था, साहित्य, मिडिया और बॉलीवुड में बैठे इनके कार्यकर्ता दिखने में सीधे साधे, सामान्य लोगों की तरह, झोला पकड़े हुए और सूती के कपडे पहनकर लोगों के बीच रहने वाले ये लोग वास्तव में भारत के अन्दर बैठे वो दीमक हैं जो धीरे धीरे भारत को खोखला करने में लगे हुए हैं | किसी भी विकास कार्य का विरोध करना, जातीय विद्वेष फैलाना, हिन्दू संस्कृति को बदनाम करना, विदेशी एजेंडों को भारत में कार्यरत करना, पिछड़े क्षेत्रों में धर्मान्तरण