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Showing posts from October, 2018

माँ दुर्गा, महिषासुर और वामपंथी

माँ दुर्गा, महिषासुर और वामपंथी  आज हम नवरात्री का पावन पर्व मना रहे हैं, जिस पर्व के अवसर में माँ दुर्गा ने दैत्यराज महिषासुर का संहार कर मानव और देवतों को उसके आतंक से मुक्त किया था | पर इस देश में ऐसे भी लोग हैं जो महिषासुर की पूजा करते हैं और माँ दुर्गा को अपशब्द कहते हैं और ये सब देश के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्द्यालय JNU की उपज है | जहाँ  के वामपंथी प्रोफेसर छात्र, लेखक, इतिहासकारों ने इसे लेकर एक ऐसा झूठ फैलाया जिसमें उन्होंने माँ दुर्गा को अपशब्द कहते हुए बताया की उन्होंने महिषासुर से विवाह किया कुछ समय उनके साथ सम्बन्ध रखे और नौ दिन बाद धोखे से उसकी हत्या कर दी | इस कहानी को JNU में प्रसारित करने के लिए वहां महिषासुर बलिदान दिवस मनाया जाता है और माँ दुर्गा पर अभद्र टिप्पड़ियां की जाती है | हिन्दू धर्म को गाली दी जाती है और यह सब दलित-वामपंथी छात्र अध्यापक करते हैं | इस झूठ को फैलाकर उन्होंने कुछ जनजातियों को माँ दुर्गा के विरुद्ध कर दिया है उन्हें असुरों के वंशज घोषित कर हिन्दू समुदाय से अलग कर दिया है | इसी प्रकार दक्षिण भारत में भी इन्होने

#लालआतंक से जूझ रहा भारत

# लालआतंक  से जूझ रहा भारत कुछ साल पहले तक दुनिया के एक मात्र हिन्दू राष्ट्र रहा नेपाल अब कम्युनिस्टों के हाथ आ चूका है | अपने सालों से चल रहे एजेंडे के साथ इन्होने धीरे धीरे नेपाल की सभ्यता को ख़त्म किया, लोगों को हिन्दू धर्म से दूर किया,चुकी नेपाल एक छोटा देश है इसलिए यह काम जल्दी हो गया | अभी भारत में भी यह काम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कर रही है पर संघ भाजपा जैसी पार्टियों की वजह से इनका ये काम आसान नहीं है | उद्देश्य ये है की देश के तंत्र में ओने लोगों को वायरस की तरह घुसा दो, जो धीरे धीरे अपने क्षेत्रों को वामपंथी विचारधारा से प्रभावित करते हैं, इनकी विचारधारा किसान, मजदुर, आदिवासी, दलित, मुस्लिम और नारीवाद जैसे क्रन्तिकारी विचारधारा लगती है | पर असल से इनका उद्देश्य भारत के तंत्र गिराना है | वामपंथियों ने तीन रास्ते अपनाये हैं -   1. राजनैतिक - चुनाव लड़ना और रणनैतिक लड़ाई लड़ना, 2. शहरी नक्सल - इस रणनीति में इनके लोग देश के सभी विभाग में घुसकर वामपंथी विचारधारा को फैलाना और लोगों को अपनी और लाना है, वकील, जज, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रोफेसर, इतिहासकार,

राजनैतिक विचारधारा का निष्कर्ष

राजनैतिक विचारधारा का निष्कर्ष पिछले कुछ सालों में राजनीती पर लोगों से चर्चा, वाद-विवाद का मेरे अनुसार निष्कर्ष ये है की इस देश में तीन मानसिकता के लोग हैं .. 1.  # राष्ट्रवादी  - इन्हें किसी पार्टी, पेट्रोल, नोटबंदी, महंगाई जैसी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता, इन्हें सिर्फ देश सुरक्षित चाहिए, राममंदिर चाहिए, हिन्दूराष्ट्र( सभी धर्म के लोग हो पर हिन्दू राष्ट्रीयता हो) चाहिए, कश्मीरी पंडितों का न्याय चाहिए, असम, केरल, मिजोरम में हिन्दू सुरक्षित चाहिए, सभी घुसपैठिये बाहर चाहिए, सभी मंदिर सुरक्षित चाहिए, ईसाई धर्मा न्तरण पर रोक चाहिए, भ्रष्टाचार, दलितवाद से आजादी चाहिए, मुस्लिम तुष्टिकरण का अंत चाहिए, किसानों की समस्या का हल चाहिए, महिला शोषण, अश्लीलता और व्यभिचार मुक्त समाज चाहिए, भारतीय संस्कृति सुरक्षित चाहिए, जनसँख्या, इस्लामिकरण इसाईकरण | चुकी एक मात्र पार्टी है जो इनमें से ज्यादातर का समर्थन करती है इसलिए ये लोग संघ/भाजपा की और ही जाते हैं | छोटी बड़ी गलतियों को भी नजर अंदाज कर ये बड़े उद्दश्यों को देखते हैं | इनका प्रथम उद्देश्य अपनी भारत माँ को बचाना है फिर समाज को फिर खुद

संघ का आजादी की लड़ाई में योगदान !

"क्या संघ का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं ?" # कोंग्रेस  के सबसे वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति  # श्री_प्रणव_मुखर्जी  संघ के संस्थापक  # हेडगेवार  जी को 'भारत माँ का महान सपूत' बताते हैं, नेहरु से लेकर शास्त्री और इंदिरा ने भी संघ का सम्मान किया, आज उसी कोंग्रेस का खड्गे कहता है संघ का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है | मंगल पाण्डेय, रानी लक्ष्मीबाई, लाल- बाल-पाल, सुभाष, सावरकर, भगत, चंद्रशेखर, बिस्मिल्ला, राजगुरु और भी कई नेता जो कोंग्रेस से अलग देश को आजाद करवाने के लिए  लडे थे, क्या वो हजारों लाखों लोग जो अपने स्तर पर कोंग्रेस से अलग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे वो सब गद्दार थे, जैसा कोंग्रेस दावा करती है | कोंग्रेस ने आजतक आजादी के श्रेय स्वयं के आलावा कभी किसी और को नहीं दिया | स्वतंत्रता संग्राम एक देशव्यापी आन्दोलन था कोंग्रेस जिसका हिस्सा थी, जिसमें देश के कई लोग जुड़े, बिना किसी नाम के संगठन के झंडे के, वह आन्दोलन था कोई राजनैतिक पार्टी नहीं थी | #हेडगेवार जी और संघ के ज्यादातर नेता भी पहले कोंग्रेस में ही थे जब तक कोंग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिक

संघ, मोदी, योगी के विरुद्ध पाकिस्तान

संघ, मोदी, योगी के विरुद्ध पाकिस्तान # UN   में   # पाकिस्तान   ने   # RSS ,   # मोदी ,   # योगी   सहित सभी हिन्दुत्ववादी संगठनों को   # फासीवादी   और   # आतंकवाद   का कारण बताया है और कोंग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से हर बात पर पाकिस्तान के साथ खड़ी है | ये बयान #पाकिस्तान ऐसे ही नहीं दे रहा है पाकिस्तान हर बात भारत में RSS/मोदी विरोधी नेताओं, मिडिया संगठनों के झूठे आरोपों के आधार पर लगताा है | राहुल गाँधी विदेश में जाकर RSS को ए क आतंकी संगठन जैसा बताता है, कोंग्रेस और वापमंथी नेता मिडिया में संघ को बदनाम कर रहे हैं | चाहे  # सेना  हो या संघ/मोदी, पाक िस्तान हमेशा इनके विरोध के लिए भारत के  # कोंग्रेस_नेता ,  # वामपंथी_नेता  और  # NDTV  जैसी  # वामपंथी_मिडिया  के ख़बरों को तथ्य बनाकर देता है | जब अपने ही देश के लोग सत्ता पाने के लिए अपने ही देश के उस संगठन को देश के लिए खतरनाक बताने लगे जो दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है, जिस संगठन से लाखों लोग जुड़े हैं और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं, देश के सभी बड़े पदों पर  # राष्ट्रपति ,  # उपराष्ट्रपति ,  # प्रधानमंत्री ,  # केबिने

गाँधी और गोडसे

गाँधी और गोडसे       यदि  # समुदाय_विशेष  से किसी ने अपने देश को बटता देख  # जिन्ना  को मार दिया होता तो शायद वह हमारे लिए एक महान इन्सान होता |" # गाँधी_जी  ने देश की आजादी में अमूल्य योगदान दिया था यह बात केवल खुद को अच्छा बताने का प्रयास नहीं बल्कि सच में हमारी भावना है जो उनके आंदोलनों और लोगों को एक जुट करने के प्रयासों में दिखती है | गाँधी ने कहा था ये देश मेरी लाश पर बटेगा..पर ये देश बंटा और उनके जीवित रहते हुए बटा, वो अपने महान सिद्धांतो और आदर्शों के बावजूद इस महान देश को बटने से नहीं रोक पाए  | उनकी अति अहिंसावादिता ने विशेषकर हिन्दुओं को तो एक तरह से नपुंसक ही बना दिया था | देश के बटवारे और हिन्दुओं पर हो रहे अत्यचार पर गाँधी के मौन से नाराज होक र ही   # गोडसे ने उनकी हत्या की थी न की किसी निजी शत्रुता के कारण और हमेशा के लिए एक बुरा इन्सान बन गया | गाँधी जी की महानता को राजनेताओं ने भुनाया और इतना बड़ा कर दिया की कोई गोडसे के समर्थन में दिखना नहीं चाहता भले उसे ये पता हो की गोडसे ने भी जो किया वह पूरी तरह गलत नहीं था | पर काश देश को तोड़ने वाले सैकड़ों स