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भारतीय सभ्यता का इतिहास

भारतीय सभ्यता का इतिहास 

     भारत का इतिहास विश्व में सबसे प्राचीन माना जाता है, किन्तु अब तक के ज्ञात स्त्रोतों और प्रमाणों के अनुसार से भारत के इतिहास को दो प्रकार से अध्ययन किया और समझा जा सकता है |
1.वैदिक इतिहास - यह इतिहास भारत के वैदिक साहित्यों, ग्रंथों और प्रचलित कथाओं में वर्णित इतिहास है |
2.वैज्ञानिक इतिहास - यह इतिहास वैज्ञानिकों द्वारा पुरातात्विक प्रमाणों और शोधों के अनुसार प्राप्त इतिहास है |
   1.वैज्ञानिक शोधों के अनुसार यदि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और भारत का इतिहास देखा जाये तो वह निम्न है -
हम इसे चार चरणों में समझ सकते हैं -
1.ब्रह्माण्ड की व्युत्पत्ति से पृथ्वी के निर्माण तक,
2.पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से प्रथम मानव तक,
3.प्रथम मानव से मानव सभ्यता के निर्माण तक
4.मानव सभ्यता से वैदिक युग तक का इतिहास,
5.वैदिक युग के आरंभ से मध्ययुग तक का इतिहास,
6.मध्ययुगीन इतिहास से आधुनिक कल तक का इतिहास,
अब हम इन चरणों का अध्ययन थोड़ा विस्तार से करेंगे -
1.ब्रह्माण्ड की व्युत्पत्ति से पृथ्वी के निर्माण तक -  लगभग 13 अरब 17 करोड़ वर्ष पहले महा-विस्फोट (बिग बैंग) से ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ था, जिसके बाद यह अंतरीक्ष एक बिंदु से फैलकर अनन्त तक फैलता गया और आज भी फ़ैल रहा है | महाविस्फोट से उत्पन्न हुई अनन्त उर्जा से प्रारंभिक कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बने, इन्ही कणों से प्रारंभिक परमाणु बने और उससे परमाणु हाइड्रोजन, हीलियम जैसे तत्व उत्पन्न हुए | इन हाइड्रोजन और हीलियम के कणों से जो गैस के घने बादल संगठित हुए उनसे ही प्रारंभिक तारे और खगोलीय पिंड बने | इन गैस के बादलों और तारों के संगठित होने से बड़ी आकाशगंगाएं बनी | लाखों करोड़ों वर्षों के बाद इन तारों के विस्फोट के बाद कई अन्य तत्व बने जिनसे इस ब्रह्माण्ड में कई अन्य पदार्थ और ग्रह, तारे ,उपग्रह, उल्काएं जैसे कई अन्य खगोलीय पिंड बने | इन्हीं आकाशगंगाओं में से एक में एक तारा था हमारा सूर्य जिसका निर्माण लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले हुआ था | सूर्य के आसपास के गैस और धुल के बादलों से अन्य ठोस पिंडों,  गृहों और उपग्रहों का निर्माण हुआ जिससे सौर मंडल का निर्माण हुआ ,इन्हीं ग्रहों में से एक थी पृथ्वी जो हमारा निवास स्थान है | प्रारंभ में पृथ्वी अत्यंत ही गर्म थी किन्तु बाद में धीरे धीरे यह ठंडी हुई और उल्का पातों और ज्वालामुखियों से निकली गैसों से बने बादलों के ठन्डे होने से वर्षों तक वर्षा हुई जिससे बड़े बड़े महासागर बने |

2.पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति से प्रथम मानव तक - करोड़ों वर्षों के बाद महासागरों में रासायनिक बदलावों से पहले पैधों और फिर एककोशिकीय जीवों का जन्म हुआ , बाद में ये पारिस्थितिक तंत्र सागरों से  धरती पर आ गया | जीव विकसित होकर उभयचर बने और धरती पर आकर बसने लगे, बाद में ऊँचे वृक्षों पार रहने वाले जीव उड़ने वाले कुछ जीवों के रूप  में विकसित हुए इस तरह से धरती, आकाश और महासागरों पर जीवन का विकास हुआ | लाखों करोड़ो वर्षों के क्रमिक विकास से धरती पर जैव और पादप विविधता आई और विभिन्न प्रकार के सरीसृप, उभयचर, स्तनधारी जीव-जंतु और पेड़-पौधे विकसित हुए | इन्ही जीवों में ही विशालकाय सरीसृप जीव डायनासोर भी विकसित हुए जो करोड़ो वर्षों तक इस धरती आहार श्रृखंला के शिखर पर रहे | लगभग 6.5 करोड़ अवर्ष पूर्व एक उल्का के धरती से टकराने पर भयंकर विष्फोट और पर्यावरणीय बदलाव के बाद इन बड़े जीवों का अंत हो गया जिसके बाद छोटे और स्तनधारी जीवों को विकास करने का अवसर मिला और ये प्रजातियाँ बहुत तेजी से अन्य प्रजातियों में विकसित होकर पुरे विश्व में फ़ैल गईं | लगभग सभी शोधों के अनुसार धरती पर जीवन का विकास अफ्रीका महाद्वीप से प्रारंभ माना जाता है | जहाँ आज भी सबसे अधिक जैव विविधता पाई जाति है | इन्हीं प्रजातियों में कुछ स्तनधारी भी थे जो बंदरों की प्रजाति के थे जो मानव प्रजाति के प्रारंभिक पूर्वज माने जाते हैं | पर्यावरणीय परावर्तन और भौगोलिक परिस्थितियों के प्रभाव से कई वर्षों के क्रमिक विकास के बाद लगभग 2,00,000 वर्ष पूर्व इस वानर प्रजाति का स्वरुप धीरे धीरे आज के मानव के जैसा बना, जिन्हें आदिमानव कहा जाता है | इस समय का अनुमान जीवाश्मों के शोध के आधार पर आँका गया है जो वैज्ञानिकों को खुदाई आदि में अवशेषों के रूप में मिले थे | 

3.प्रथम मानव से मानव सभ्यता के निर्माण तक - प्रथम आदिमानवों के वर्षों के विकास के बाद यह प्रजाति अपने भोजन और अन्य आवश्यकताओं के लिए अन्य स्थानों में प्रवास करते हुए पुरे महाद्वीप पर विस्तृत होने लगे और इसी प्रवास के फलस्वरूप ये पुरे विश्व में विस्तृत हुए थे | इसी प्रवास के अंतर्गत ये आदिमानवों का एक भाग विश्व की अन्य स्थानों पर विस्तृत हुए | सभी दिशाओं में फैलते हुए कुछ उत्तर की ओर जाकर रूस की ओर गए, पूर्व में कुछ दल ईरान, इराक होते हुए लगभग 10,000 वर्ष पूर्व सिन्धु-सरस्वती नदी के किनारे पंहुचे थे और कुछ चीन होते हुए उत्तरी अमेरिका होते हुए अमेरिका महाद्वीप पर पंहुचे और कुछ थाईलैंड होते हुए आस्ट्रेलिया महाद्वीप पंहुचे | पुरे विश्व में आदिमानवों के कई समुदाय बस चुके थे जो पहले छोटे कबीलों और फिर बड़े कबिलों में विकसित हुए बाद में यही काबिले सभ्यताओं के रूप में विकसित हुए |

4.मानव सभ्यता के प्रारंभ से वैदिक युग तक का इतिहास - क्रमिक विकास के बाद लगभग सभी मानव समुदायों ने साथ रहना, शिकार करना, घर बनाना, नगर बसाना, कृषि करना, व्यापर करना आदि सीखा इस तरह से विश्व में कई बड़ी सभ्यताओं का उदय हुआ | इनमें अधिकांश सभ्यतायें बड़ी नदियों के किनारे बसे और विकसित हुए | कुछ सभ्यतायें जैसे मिस्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया, सुमेरियन सभ्यता, चीन की सभ्यता, इंका सभ्यता, सिन्धु घाटी की सभ्यता प्रमुख थे | सिन्धु घाटी में एक सभ्यता जिसका विकास सिन्धु-सरस्वती नदी के किनारे हुआ था जिसे भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे पहली सभ्यता माना जाता है, जिसे सिन्धु-सरस्वती घाटी की सभ्यता भी कहा जाता है | इस सभ्यता के केंद्र में मेहरगड़, हड़प्पा, मोहनजोदाड़ो जैसे बड़े व्यवस्थित नगर बसे थे | बाद में सिन्धु घाटी सभ्यता विकासित होकर पुरे भारतीय महाद्वीप में फैली, जिसे हम आज भारतीय सभ्यता के नाम से जानते हैं |

5.वैदिक युग के आरंभ से मध्ययुग तक का इतिहास - सिन्धु-घाटी सभ्यता तक का इतिहास पुरातात्विक प्रमाणों और अवशेषों आदि के आधार पर वैज्ञानिकों के शोधों से निर्धारित हुआ है, इस इतिहास के अनुसार सिन्धु घाटी की सभ्यता लगभग 3,300 ई.पू. से 1,300 ई.पू. तक रही | इसी समय में कई लेखन कला का विकास भी हुआ और साहित्यों का निर्माण हुआ जिसमें सर्वप्रथम साहित्य था ऋग्वेद जिसे हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार का सबसे प्राचीन रचना माना जाता है जिसे वैदिक युग का आरंभ माना जाता है, जिसके बाद कई अन्य वैदिक रचनाएँ हुई जिनमें अन्य वेद, उपनिषद, ग्रन्थ और पुराण आदि आते हैं | कई मतों के अनुसार हिन्दू धर्म की कई पौराणिक घटनाये इसी समय में हुई थी, या इससे पहले घटी थी लेकिन उसका लेखन इस काल में हुआ | इसी युग में इस महाद्वीपिय भूभाग का नाम जो कश्मीर से कन्याकुमारी और अफगानिस्तान से म्यांमार तक फैला था भारतवर्ष पड़ा | इस काल में यह सभ्यता लगभग पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैल चुकी थी और जिसके बाद पुरे भारत में कई छोटे नगर, जनपद और फिर महाजनपद निर्मित हुए | इसमें ही पहले शासन और व्यवस्थित तंत्र का विकास हुआ जो बाद में राज्यों के रूप में बदल गये | इस काल में मगध, कुरु, पंचाल, कलिंग, सौराष्ट्र, कांधार, कशी जैसे बड़े राज्य मुख्य थे | इस सभ्यता में कुछ राजवंश हुए जिनमें सुर्यवंश, चन्द्रवंश, कुरु वंश और अन्य वैदिक युगीन वंश का शासन रहा इन वंशों में उच्च और श्रेष्ठ को आर्य कहकर संबोधित किया जाता था , जिसके कारन उनके क्षेत्र को आर्यावर्त भी कहा जाने लगा था | रामायण और महाभारत इसी युग में घटित माने जाते हैं | इस काल में वैदिक सभ्यता का विकास हुआ और कई वैदिक साहित्यों का निर्माण हुआ | इसके बाद पूर्व मध्य काल आता है जिसमें कई बड़े राजवंशों ने अलग अलग-समय में भारत के अलग अलग भू-भागों पर शासन किया जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक और अफगानिस्तान से म्यांमार तक विस्तृत था | जिसमें मौर्य, चोल, गुप्त, नन्द, पल्लव, सेन वंश आदि मुख्य थे | इन्ही वंशों के कई महान सम्राटों ने इस भारतीय भूभाग पर शासन किया और भारत को विकसित किया | इन शासकों के शासन में भारत विश्व में सबसे समृद्ध देश, सोने की चिड़िया बना और ज्ञान में विश्वगुरु बना, जिनमें चन्द्रगुप्त मौर्य, विक्रमादित्य, अशोक, पृथ्वीराज चौहान जैसे बड़े सम्राट प्रमुख थे |

6.मध्ययुगीन इतिहास से आधुनिक कल तक का इतिहास - लगभग 1,100 वर्ष पहले भारत में पहले मुस्लिम अफगानी शासक महमूद गजनवी ने 962 ई. में प्रथम बार भारत पर आक्रमण किया 997 ई. से 1030 ई. तक 17 बार आक्रमण किया और कई मंदिर लुटे और तोड़े | इसके बाद मुहम्मद गौरी का आक्रमण हुआ जिसने पृथ्वीराज चौहान से कई युद्धों में परस्त होने के बाद पृथ्वीराज को परास्त कर उनकी हत्या करने के बाद  दिल्ली सल्तनत की शुरुआत की जो लगभग 300 (1210 ई.-1526 ई.) वर्ष तक चला | जिसमें प्रथम शासक गौरी द्वारा निर्वाचित सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक था जो गुलाम वंश ( 1290ई.-1320ई.) का था, इसके बाद दिल्ली सल्तनत पर तुगलक वंश (1320 ई.-1413 ई.), सय्यद वंश (1414 ई.-1451 ई.) और लोधी वंश (1451 ई.-1526 ई.) का शासन रहा | इसके बाद 1600 ई. में प्रथम मुग़ल बाबर का आक्रमण हुआ जिसके बाद भारत में मुग़ल साम्राज्य (1526 ई.-1857 ई.) का विस्तार हुआ, इस समय भारत में कई अन्य साम्राज्य भी थे जिसमे सिक्ख, मेवाड़, ग्वालियर, सिंधिया, मराठा, बुंदेलखंड, बंगाल, त्रावन्कोर, मैसूर और दक्कन के राज्य थे | औरंगजेब के काल में  लगभग समस्त भारत वर्ष पर मुग़ल साम्राज्य का शासन हो चूका था |
    इसके बाद जब पहला पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को-डी-गामा भारत आया और भारत के ऐश्वर्य, धन सम्पदा को देख कर आश्चर्य में पड़ गया, तब उसने भारत में पुर्तगाली व्यापार को शुरू किया और भारत को लुटने लगे, इसी के साथ भारत पर पहले यूरोपीय उपनिवेशीकरण जो की पुर्तगाली उपनिवेशकाल (1510ई.-1961ई.) का आरंभ हुआ | पुर्तगालियों के पीछे डच (1605ई.-1825ई.), फिर डेनिश (1620ई.-1869ई.), फिर फ़्रांसिसी (1759ई.- 1954ई.) आये इनके बाद अंग्रेज आये, उन्होंने राजाओं संधियां की और कलकत्ता में ईस्ट इण्डिया कंपनी की स्थापना की | लेकिन व्यापर की आड़ में उन्होंने भारतीय राजाओं और नवाबों को आपस में लड़वाना शुरू कर दिया और उन्हें कमजोर करके भारत में कंपनी राज (1757 ई.-1858 ई.) स्थापित कर दिया , बाद में ब्रिटेन की संसद ने पहले कंपनी पर ब्रिटेन का शासन लगाया और फिर भारत में भी ब्रिटिश शासन (1858 ई.-1947 ई.) लागु कर दिया | इसके बाद उन्होंने भारत की लगभग पूरी सम्पत्ति को लुटा और भारत में कई अन्य कानून और कर आदि लगा कर भारतीयों पर अत्याचार किये | भारत पर कंपनी ने लगभग 100 वर्ष शासन किया और ब्रिटिश सरकार ने 100 वर्ष शासन किया | 1857 की क्रांति के बाद भारत में स्वतंत्रता के लिए पहला संघर्ष शुरू हुआ और अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतकारियों के बलिदानों और संघर्षों के बाद अंततः 15 अगस्त 1957 को भारत को स्वतंत्रता मिली | यद्यपि इस स्वतंत्रता का कारण भारत में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध चल रहा संघर्ष और बड़ा जनआन्दोलन भी था किन्तु एक कारण द्वितीय विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के कमजोर पड़ जाना भी था जिसके बाद उनकी नई संसद द्वारा अपने सभी उपनिवेशों को स्वतंत्र करने के निर्णय लिया था | स्वतंत्रता से पहले ही कुछ मुस्लिम कट्टारपंथियों ने मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में अपना अलग देश होने की मांग शुरू कर दी थी, देश भर में कई स्थानों पर दंगे और बड़ी मात्रा में लोगों के बीच नरसंहार हुआ, जिसमें अधिक नुकसान हिन्दूओं और सिक्खों का हुआ | कई प्रयासों के बाद भी अंततः मुस्लिम कट्टरपंथियों के हट, कुछ नेताओं की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण हजारों वर्षों की वैदिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक देवभूमि को जो कभी अफगानिस्तान से म्यांमार तक और हिमालय के कश्मीर से कन्याकुमारी तक अखंड थी विभाजित कर दिया गया | विभजित भूमि से कई राष्ट्रों का निर्माण हुआ एक था जिसमें भारत जो भारत की मूल भूमि और हिन्दू बाहुल्य को दिया गया और दूसरा था पाकिस्तान जिसे मुस्लिम कट्टरपंथियों को दिया गया जो धर्म पर आधारित अपना अलग देश चाहते थे, पूर्व में म्यांमार बना बंगाल का विभाजन कर पहले पाकिस्तान को दिया गया जो बाद में बांग्लादेश बन गया | इस तरह से भारत को वर्षों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को स्वतंत्रता मिली | इस तरह से आज का आधुनिक भारत स्वरूप में आया, जिसके बाद भारत विश्व में अपना स्थान स्वयं बना रहा है |


इस तरह से भारत के इतिहास को वैज्ञानिक प्रमाणों और शोधों के आधार पर समझा जा सकता है जो की ब्रह्माण्ड की व्युत्पत्ति से लेकर पृथ्वी के निर्माण, जीवन के प्रारंभ, मानव के अस्तित्व फिर सभ्यताओं का निर्माण,सिन्धु-घाटी सभ्यता के विकास,वैदिक सभ्यता से होते हुए मध्ययुगीन भारत और अब आधुनिक भारत तक का इतिहास है |



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