"क्या संघ का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं ?"

मंगल पाण्डेय, रानी लक्ष्मीबाई, लाल- बाल-पाल, सुभाष, सावरकर, भगत, चंद्रशेखर, बिस्मिल्ला, राजगुरु और भी कई नेता जो कोंग्रेस से अलग देश को आजाद करवाने के लिए लडे थे, क्या वो हजारों लाखों लोग जो अपने स्तर पर कोंग्रेस से अलग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे वो सब गद्दार थे, जैसा कोंग्रेस दावा करती है |
कोंग्रेस ने आजतक आजादी के श्रेय स्वयं के आलावा कभी किसी और को नहीं दिया | स्वतंत्रता संग्राम एक देशव्यापी आन्दोलन था कोंग्रेस जिसका हिस्सा थी, जिसमें देश के कई लोग जुड़े, बिना किसी नाम के संगठन के झंडे के, वह आन्दोलन था कोई राजनैतिक पार्टी नहीं थी |

पर सत्ता में आते ही कोंग्रेस और वामपंथियों ने अपनी घटिया और चतुर राजनीती से उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों, और क्रांतिकारियों को अपने साम्राज्य की नीव में दफन कर दिया और आज कोंग्रेस दावा करती है की देश को आजाद उसने कराया |
क्या सिर्फ इसलिए की संग ने कोंग्रेस से हाथ नहीं मिलाया नीतियों में भेद के कारन इसलिए उनके योगदान को न बताकर उन्हें गगद्दार कहना चाहिए, विरोध तो आजाद, भगत ने भी तो किया था |
क्योंकि संघ से कई साल पहले ही निकल चुके गोडसे ने अपने देश के बटवारे पर कोंग्रेस और गाँधी की निष्क्रियता से नाराज होकर गाँधी की हत्या कर दी तो पूरा संघ ही हत्यारा और देशद्रोही हो जाता है ?
पर अब ये देश सच समझने लगा है इसलिए लोग संघ से जुड़ रहे हैं, इतिहास एक न एक दिन स्वयं को दोहराता है और आज कोंग्रेस अपने फैलाये झूठ और अफवाहों के बोझ में दब कर खुद दफन हो रही है |
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