Skip to main content

संघ का आजादी की लड़ाई में योगदान !

"क्या संघ का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं ?"

Image may contain: 7 people, people smiling, people standing, child, outdoor and nature#कोंग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति #श्री_प्रणव_मुखर्जी संघ के संस्थापक #हेडगेवार जी को 'भारत माँ का महान सपूत' बताते हैं, नेहरु से लेकर शास्त्री और इंदिरा ने भी संघ का सम्मान किया, आज उसी कोंग्रेस का खड्गे कहता है संघ का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है |
मंगल पाण्डेय, रानी लक्ष्मीबाई, लाल- बाल-पाल, सुभाष, सावरकर, भगत, चंद्रशेखर, बिस्मिल्ला, राजगुरु और भी कई नेता जो कोंग्रेस से अलग देश को आजाद करवाने के लिए लडे थे, क्या वो हजारों लाखों लोग जो अपने स्तर पर कोंग्रेस से अलग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे वो सब गद्दार थे, जैसा कोंग्रेस दावा करती है |
कोंग्रेस ने आजतक आजादी के श्रेय स्वयं के आलावा कभी किसी और को नहीं दिया | स्वतंत्रता संग्राम एक देशव्यापी आन्दोलन था कोंग्रेस जिसका हिस्सा थी, जिसमें देश के कई लोग जुड़े, बिना किसी नाम के संगठन के झंडे के, वह आन्दोलन था कोई राजनैतिक पार्टी नहीं थी |
Image result for rss in freedom movement#हेडगेवार जी और संघ के ज्यादातर नेता भी पहले कोंग्रेस में ही थे जब तक कोंग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण तटर्की के खलीफा के समर्थन में #खिलाफत_आन्दोलन नहीं किया | हेडगेवार और संघ के कई लोग गाँधी की डांडी यात्रा में भी शामिल हुए थे कई जेल भी गए |
पर सत्ता में आते ही कोंग्रेस और वामपंथियों ने अपनी घटिया और चतुर राजनीती से उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों, और क्रांतिकारियों को अपने साम्राज्य की नीव में दफन कर दिया और आज कोंग्रेस दावा करती है की देश को आजाद उसने कराया |
क्या सिर्फ इसलिए की संग ने कोंग्रेस से हाथ नहीं मिलाया नीतियों में भेद के कारन इसलिए उनके योगदान को न बताकर उन्हें गगद्दार कहना चाहिए, विरोध तो आजाद, भगत ने भी तो किया था |
क्योंकि संघ से कई साल पहले ही निकल चुके गोडसे ने अपने देश के बटवारे पर कोंग्रेस और गाँधी की निष्क्रियता से नाराज होकर गाँधी की हत्या कर दी तो पूरा संघ ही हत्यारा और देशद्रोही हो जाता है ?

पर अब ये देश सच समझने लगा है इसलिए लोग संघ से जुड़ रहे हैं, इतिहास एक न एक दिन स्वयं को दोहराता है और आज कोंग्रेस अपने फैलाये झूठ और अफवाहों के बोझ में दब कर खुद दफन हो रही है |

Comments

Popular posts from this blog

माँ दुर्गा, महिषासुर और वामपंथी

माँ दुर्गा, महिषासुर और वामपंथी  आज हम नवरात्री का पावन पर्व मना रहे हैं, जिस पर्व के अवसर में माँ दुर्गा ने दैत्यराज महिषासुर का संहार कर मानव और देवतों को उसके आतंक से मुक्त किया था | पर इस देश में ऐसे भी लोग हैं जो महिषासुर की पूजा करते हैं और माँ दुर्गा को अपशब्द कहते हैं और ये सब देश के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्द्यालय JNU की उपज है | जहाँ  के वामपंथी प्रोफेसर छात्र, लेखक, इतिहासकारों ने इसे लेकर एक ऐसा झूठ फैलाया जिसमें उन्होंने माँ दुर्गा को अपशब्द कहते हुए बताया की उन्होंने महिषासुर से विवाह किया कुछ समय उनके साथ सम्बन्ध रखे और नौ दिन बाद धोखे से उसकी हत्या कर दी | इस कहानी को JNU में प्रसारित करने के लिए वहां महिषासुर बलिदान दिवस मनाया जाता है और माँ दुर्गा पर अभद्र टिप्पड़ियां की जाती है | हिन्दू धर्म को गाली दी जाती है और यह सब दलित-वामपंथी छात्र अध्यापक करते हैं | इस झूठ को फैलाकर उन्होंने कुछ जनजातियों को माँ दुर्गा के विरुद्ध कर दिया है उन्हें असुरों के वंशज घोषित कर हिन्दू समुदाय से अलग कर दिया है | इसी प्रकार दक्षिण भारत में भी इन्होने

#लालआतंक से जूझ रहा भारत

# लालआतंक  से जूझ रहा भारत कुछ साल पहले तक दुनिया के एक मात्र हिन्दू राष्ट्र रहा नेपाल अब कम्युनिस्टों के हाथ आ चूका है | अपने सालों से चल रहे एजेंडे के साथ इन्होने धीरे धीरे नेपाल की सभ्यता को ख़त्म किया, लोगों को हिन्दू धर्म से दूर किया,चुकी नेपाल एक छोटा देश है इसलिए यह काम जल्दी हो गया | अभी भारत में भी यह काम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कर रही है पर संघ भाजपा जैसी पार्टियों की वजह से इनका ये काम आसान नहीं है | उद्देश्य ये है की देश के तंत्र में ओने लोगों को वायरस की तरह घुसा दो, जो धीरे धीरे अपने क्षेत्रों को वामपंथी विचारधारा से प्रभावित करते हैं, इनकी विचारधारा किसान, मजदुर, आदिवासी, दलित, मुस्लिम और नारीवाद जैसे क्रन्तिकारी विचारधारा लगती है | पर असल से इनका उद्देश्य भारत के तंत्र गिराना है | वामपंथियों ने तीन रास्ते अपनाये हैं -   1. राजनैतिक - चुनाव लड़ना और रणनैतिक लड़ाई लड़ना, 2. शहरी नक्सल - इस रणनीति में इनके लोग देश के सभी विभाग में घुसकर वामपंथी विचारधारा को फैलाना और लोगों को अपनी और लाना है, वकील, जज, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रोफेसर, इतिहासकार,

आज सनातन दर्शन

आज सनातन दर्शन सनातन धर्म वैश्विक विचारधाराओं में एक अनमोल विचारधारा है जिसमें कभी किसी एक व्यक्ति, ग्रन्थ या मत का प्रभाव नहीं रहा इस सभ्यता में अनेकों विचारक, महात्माओं व धर्माचार्यों का योगदान रहा जिन्होंने इस सभ्यता को और भी ऊँचे वैचारिक स्थान तक पंहुचाया | यही कारण है की ईसाई और मुस्लिम मत के अत्यधिक प्रचार प्रसार के बाद भी भारत में ये दोनों ही नहीं ठहर पाए,  क्योंकि ईसाइयत तथा इस्लाम का दर्शन सनातन दर्शन के आगे कहीं नहीं ठहरता बल्कि कुछ विचारकों के अनुसार तो ईसाईयत व् इस्लाम में कोई दर्शन ही नहीं है वह केवल एक व्यक्ति द्वारा चलाई गई मत परंपरा है जिसका करोड़ो लोग बिना की उद्देश्य व् मार्गदर्शन के पालन, प्रचार व प्रसार करते जा रहे हैं | जबकि सनातन दर्शन में श्रीराम के आदर्श, श्री कृष्ण के योग व् ज्ञान, विदुर, भीष्म की नीतियाँ, शंकराचार्य के उपनिषद, चाणक्य की नीतियाँ, बुद्ध-महावीर का ज्ञान, ऋषि मुनियों की तपस्या, रविदास, कबीर,तुलसीदास, रसखान जैसों के उपदेश, नानक, विवेकानंद, श्रीअरविन्द, परमहंस, दयानंद जैसे महापुरुषों के विचारों का अकूट संग्रह रहा है | किन्तु इन सबसे अलग ज