राजनैतिक विचारधारा का निष्कर्ष
पिछले कुछ सालों में राजनीती पर लोगों से चर्चा, वाद-विवाद का मेरे अनुसार निष्कर्ष ये है
की इस देश में तीन मानसिकता के लोग हैं ..
1. #राष्ट्रवादी - इन्हें किसी पार्टी, पेट्रोल, नोटबंदी, महंगाई जैसी चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता, इन्हें सिर्फ देश सुरक्षित चाहिए, राममंदिर चाहिए, हिन्दूराष्ट्र( सभी धर्म के लोग हो पर हिन्दू राष्ट्रीयता हो) चाहिए, कश्मीरी पंडितों का न्याय चाहिए, असम, केरल, मिजोरम में हिन्दू सुरक्षित चाहिए, सभी घुसपैठिये बाहर चाहिए, सभी मंदिर सुरक्षित चाहिए, ईसाई धर्मान्तरण पर रोक चाहिए, भ्रष्टाचार, दलितवाद से आजादी चाहिए, मुस्लिम तुष्टिकरण का अंत चाहिए, किसानों की समस्या का हल चाहिए, महिला शोषण, अश्लीलता और व्यभिचार मुक्त समाज चाहिए, भारतीय संस्कृति सुरक्षित चाहिए, जनसँख्या, इस्लामिकरण इसाईकरण | चुकी एक मात्र पार्टी है जो इनमें से ज्यादातर का समर्थन करती है इसलिए ये लोग संघ/भाजपा की और ही जाते हैं | छोटी बड़ी गलतियों को भी नजर अंदाज कर ये बड़े उद्दश्यों को देखते हैं | इनका प्रथम उद्देश्य अपनी भारत माँ को बचाना है फिर समाज को फिर खुद को |
2. दोमुहे लोग - ये लोग महंगाई, भ्रस्ताचार, किसान पर बड़ी बड़ी बाते करेंगे जब तक उनकी पार्टी सत्ता में नहीं होगी, पर जब खुद की पसंद की पार्टी सत्ता में होगी तब उन्ही गलत नीतियों पर सरकार का समर्थन करेंगे | इन्हें सिर्फ अपनी जेब की पड़ी होती हो, कहाँ घुसपैठ हो रही है, धर्मान्तरण हो रहा है, राममंदिर बने न बने, हिन्दुओं के साथ कहाँ क्या गलत हो रहा है इसकी कोई चिंता नहीं होती, देश धर्म किस दिशा में जा रहा है इससे कोई मतलब नहीं | ज्यादातर ऐसे लोग अपने स्वार्थ और लालच में कोंग्रेस के साथ हो जाते हैं |
अब ये आप पर निर्भर करता है की आप किस विचारधारा से प्रभावित हैं और भारत पर किस शक्ति का शासन चाहते हैं |
वंदेमातरम्
Comments
Post a Comment