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|| हम हिन्दू ||

|| हम हिन्दू ||

विश्वामित्र, दधिची, वाल्मीकि, परशुराम जैसे महर्षियों के वंशज हम हिन्दू,
जिस भूमि में जन्म लेने को तरसते हैं देवता उस देवभूमि में जन्में हम हिन्दू,
श्रीराम, श्री कृष्ण, श्री हरि, भोलेनाथ, माँदुर्गा की संतान हम हिन्दू,
हरिश्चंद्र, विक्रमादित्य जैसे महाप्रतापी राजाओं के वंशज हम हिन्दू,
महाराणा, शिवाजी और लक्ष्मीबाई के राज्य में जन्में हम हिन्दू,
सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश के रहवासी हम हिन्दू,
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता में जन्में हम हिन्दू,
इरान से मंगोलिया तक फैले हम हिन्दू,
हिन्दूकुश से लंका तक फैले हम हिन्दू,
आज क्या स्थिति है हमारी ?
हजार वर्ष की दासता से मिली स्वतंत्रता के बाद आज हम कहाँ खड़े हैं?
लगभग 1000 हजार सालों से हिन्दू अत्याचार सह रहा है,
पहले गौरी, गजनवी और खिलजी जैसे ने लुटा और मारा,
फिर मुगलों ने सालों तक हम पर अत्याचार किये,
हमारे मंदिर तोड़े, हमारे ग्रन्थ जलाये, हमारे पूर्वजों को मारा,
फिर आये पुर्तगाली, डच और अंग्रेजों,
जिन्होंने भारत को पूरी तरह खोखला कर दिया,
वषों के संघर्ष, प्रताड़ना और लाखों के बलिदान के बाद हमें आजादी मिली |
लेकिन स्वतंत्रता के बाद भी हमें क्या मिला ?
एक बाहर से आये धर्म के धर्मावलम्बियों के लिए देश का बटवारा कर दिया,
धर्म के नाम पर बटवारे में लाखो हिन्दू मारे गए,
धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दुसरे दर्जे के नागरिक बना दिये गए,
वो भी कम रहा तो हजारों जातियों में तोड़ दिए गए,
कम्युनिस्टों और झूठे इतिहासकारों द्वारा हमारा इतिहास मिटा दिया गया,
अपने ही घर से मार मारकर बेघर किये गए,
बाहरी घुसबैठियों से देश भरता जा रहा है,
देश का कई हिस्से राजनीती और लाचारी की भेट चढ़ाकर खो दिए गए,
500 सालों से एक बाह्य आक्रमणकारी द्वारा गिराए अपने ही प्रभु के एक मंदिर के लिए लड़ रहे हैं,
अनगिनत आतंकवादी देकर भी किसी का धर्म शांतिप्रिय कहलाया,
और विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम, सर्वे भवन्तु सुखिनः, प्राणियों में सत्भावना हो, विश्व का कल्याण हो का सन्देश देकर भी हम हिन्दू ही आतंकवादी कहलाये,
दुनिया भर के धर्मों को अपने समाज में स्थान देकर आज अपने ही अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं,
विवेकानंद, परमहंस शंकराचार्य जैसे महापुरुषों के बाद भी हम अपने धर्म मार्ग से भटक गए,
मिशनरियों और दुसरे हिंदुविरोधी संगठनों द्वारा अपने ही भाइयों को या तो धर्म परिवर्तन करते देख रहे हैं या सनातन धर्म छोड़ नास्तिक होता देख रहे है,
आर्य-मूलनिवासी, आर्य-द्रविण, ब्राहमण-दलित जैसेझूठे भेद पैदाकर हमें अपने भी भाई-बहनों से अलग किया जा रहा है और लड़वाया जा रहा है |
धन कमाने के आतुर कुछ लोग द्वारा भारत की इस महान संस्कृति को ख़त्म होता देख रहे हैं,
अर्याभट्ट, रामानुज, भास्कराचार्य जैसे विद्वान जन्म लेने बंद हो गए,
रामराज्य की आशा रखने वाले इस देश को लुट-पाट, बलात्कार, चोरी, भ्रस्टाचार जैसे अपराधों से भरते जा रहे हैं,
महिला को देवी मानने वाले समाज को महिला को उपभोग और सौन्दर्य आकर्षण की वास्तु बना रहे हैं,
बच्चो की संस्कार, आद-सम्मान और धर्म शिक्षा के स्थान पर विदेशी संस्कार और आचरण सिखा रहे हैं,
धर्म की रक्षा जिनके हाथों में थी कभी वो साधू संत भी अब ढोंगी बन धर्म से लोगों का विश्वास उठा रहे हैं,
धन, वासना और नशे के पीछे हमारा समाज आज बिखर रहा है,
कभी वेद, पुराण, रामायण जैसे ग्रंथो से प्रेरित होकर जीने वाला हमारा सनातन समाज फिल्मों और सोशल मिडिया में बर्बाद हो रहा है |
आखिर कहाँ जा रहे हैं हम और क्या हमारा लक्ष्य है ?
हजारों वर्हों की इस महान परंपरा और संस्कृति को हम स्वयं नष्ट कर रहे हैं, और इनता सब कर के भी हम अच्छे दिनों की आस लगाये बैठे हैं |
तनिक सोचिये यदि ये सब नहीं रुका तो क्या होगा हमारा और हमारा देश हमारा सनातन धर्म हमारी आने वाली पीढ़ी क्या देखेगी ?
ऐसा न हो इश्वर द्वारा दी गई इस महान संस्कृति को हम समाप्त कर दें |
धन्यवाद
जय श्रीराम,
सनातन धर्म की जय,
सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो |

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